प्यार क्या होता है?... कुछ बात मेरी मां की
प्यार क्या होता है? .... क्यूं होता है, इसका जवाब कभी भी किसी से भी नहीं मिला मुझे आज तक ... मगर हाँ, प्यार क्या होता है? प्यार ज़रूरी नहीं के केहाकर ही होता है. कई बार प्यार जो के एक एहसास होता है, उसे समझना भी होता है और सही अर्थ में प्यार के इस एहसास को समझने वाला ही प्यार के लायक भी होता है।
आज अनायास मैं गाड़ी चलाकर बाज़ार जा रही थी जब खयाल आया ... कुछ बात मेरी मां की.
मेरी मां, सख्त है अर्थपूर्ण नहीं है वो कभी भी किसी को भी कोई बात केहाकर नहीं जताती यहाँ तक के अपने बच्चों से भी कभी ये नहीं कहा के उन्हें प्यार है बल्कि उनकी हर वो बात जो हमसे सम्बंधित होती हैं उनका पूरा-पूरा ध्यान रखा है.
लेकिन खास आज मैं ये केहना चाहती हूँ के मेरी मां आजीवन अब तक शाकाहारी रही हैं मगर मेरे पिता मांसाहारी रहे हैं और बेहद पसंद करते हैं जब मेरी मां बनाती हैं - जी हाँ, ताज्जुब है ना? आज मुझे उस समय की जोड़ी के बारे में बताना है जो के आज के पीढी के नहीं हैं लेकिन उनके प्यार करने का अंदाज़ भी निराला है। मेरी मां शाकाहारी होने के बावजूद मेरे पिताजी के लिये मांसाहारी भोजन बनाती है , मेने कभी मेरे जीवन -काल में आज तक उन्हें इस बात पर लड़ते-झगड़ते नहीं देखा. जबके कभी- कभी एक आध रविवार ऐसे गुज़र जाता जहां पिताजी मांसाहारी भोजन का नाम भी नहीं लेते और मेरी मां बाज़ार से लाने का निमंत्रण देती. जब हम में से कोई पूछे के क्यूं? तब झट से जवाब आता के "तुम्हारे पिताजी को बहुत पसंद है और वो दो निवाला ज्यादा खाते हैं।" इस पंक्ति में जो प्यार है शायद संसार के किसी भी मूल्यवान वस्तु से भी अनमोल है प्यार जो मेरी मां अपने हाथों से मेरे पिताजी के लिये बनाकर खिलाती है।
और आज की एक पीढी है जो सिर्फ हक , ज़ोर और अधिकार जताना जानते हैं, प्यार नहीं।
ज़िंदगी में प्यार करना सीखलो तो बहुत है क्युंके बड़ी से बड़ी डिग्री नौकरी दिला सकती है लेकिन प्यार हो तो एक साथी जीवन-काल तक साथ रेहा सकता है .
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