Posts

Showing posts from November, 2014

बेहते पानी को कौन रोक सका है? हो सके तो बेहा चलो मगर उसे रोकने या टोकने की कोशिश ना करो....

Image
बेहते पानी को कौन रोक सका है? हो सके तो बेहा चलो मगर उसे रोकने या टोकने की कोशिश ना करो. मैं बात कर रही हूँ उस पल की जब इंसान किसी खुशगवार या ज़िंदादिल इंसान को देखकर लालस रखता है के काश मैं भी इनके संग दो पल जी लूँ ताके ज़िंदगी जीने का एहसास और वो खुशी दोनो ही हासिल हो जाये मगर ये भूल जाते हैं के इसे बांध के रखोगे तो ये आपका नहीं रहेगा जितना खुला छोड़ोगे उतना ही फासला काम होगा . जिसका स्वभाव बेहते पानी की तरह हो उसे बेहने देना चाहिये और क्यूं नहीं उसकी प्रवृति और उसकी स्वतंत्रता ही है जो उसके अंदर के इंसान को जगाये रखता है जैसे ही हम रोक-टोक करते हैं उसकी प्रवृति में फरक पड़ता है और जो सबसे ज्यादा पसंदीदा इंसान माना जाता था वोही इंसान इंसान ना रेहाकर हेवान बन जाता है क्यूंकि किसे अपनी आज़ादी गवारा नहीं?  बेहते पानी को बेहने दो, देखना ये चाहिये के क्या तुम बेहा सकते हो उसके साथ? गर नहीं तो कोशिश कीजिये मगर बेहती रफ़्तार को कम करने की कोशिश कभी ना कीजिये.... ये सभी के भले के लिया है ... 

प्यार करें मगर निस्वार्थ...!

Image
ज़िंदगी में तो सभी मोहब्बत करते हैं मगर मोहब्बत को कौन मोहब्बत करता है ? है ना बेचइदा सवाल.... लगना भी चाहिये क्युंके जो मोहब्बत से ना करे मोहब्बत वो क्या जाने मोहब्बत का मोल. जो मोहब्बत या प्यार देखने मिलता है वो सिर्फ एक स्वार्थी प्यार है जी हाँ ये प्यार स्वार्थी इसीलिये है क्युंके आपको कोई अच्छा लगता है इसीलिये आप उनपर जान लुटाते हैं मगर हक़ीक़त मैं मोहब्बत है? सोचिये यदि कोई दीखने में सुन्दर और आकर्षक ना होकर उसकी अच्छाइयों को जानकर और समझकर उस से प्यार किया जाये तो कोई मतलब भी रेहता है क्युंके सुंदरता हमेशा साथ नहीं देती तो क्या आप अपने प्यार को बदलते रहेंगे ? है ना बेचइदा सवाल ;)  दुनिया में हज़ारों मिलेंगे जो आप पर जान लुटायेंगे मगर कोई नहीं होगा जो आप पर सही अर्थ में मरमिटेगा क्युंके उनका प्यार स्वार्थी है और प्यार कभी भी निस्वार्थी होता है - सोचिये  माँ का प्यार सच्चा और निस्वार्थ होता है? यदि वो  माँ निस्वार्थी है तो वो ना तो अपने  बच्चों से ना ही अपने पति से या किसी भी व्यक्ति से किसी भी बात की उम्मीद रखेगी - इसका मतलब इंसान को नीयत से ही निस्वार्थ होना चाहिये क्युंके जो

क्या आपने कभी मोहब्बत किया है?

Image
कभी मोहब्बत मत करना क्युंके इसे करने के कयी नुकसान हैं जैसे की दिल का मचलना, सांसों का अत्यधिक ज्यादा तेज़ चलना तो कभी बहुत धीरे चलना, हर पल ऐसा एहसास होना के सीने पर बहुत भरी-भरकम समान जी हाँ गुलज़ार साहब की नज़्म की तरह "कुछ समान " मिलने पर दिल का ना खुल पाना और ना मिलने पर जो बैचेनी उफ्फ़ ... या अल्लाह कोई मौत ही देदे तो क्या गम है लेकिन वो भी तो इतनी आसानी से नहीं मिलती  क्या आपने कभी मोहब्बत किया है? और जवाब हाँ है तो ज़रूर बताईयेगा अपनी व्यथा।..