क्यों स्त्री को आम इंसान नहीं माना जाता?
समाज में स्त्री को देखने का नजरिया बहुत ही सरंचित है ! या तो स्त्री को एक घरेलु हुलिए में बंद कर दिया जाता है जिसे हर कोई कांच के डिब्बे में बंद करके घूरता है या फिर स्त्री को शारीरिक तौर पर एक दर्शन मात्र वस्तु की भांति उसे कांच की बोतल में बंद करके उसे न केवल घुरा जाता है बल्कि उसे शर्मनाक बातों से व्यवहारों से और आपत्तिजनक तीव्र घावों से अत्याचार किया जाता है! आखिर कहीं भी रखो देखने का नजरिया एक मनोरंजन का साधन मात्र है स्त्री! कभी लगा शायद लोगों की सोच है जिसे शिक्षा के माध्यम से विचार-परिवर्तन लाया जा सकता है किन्तु जब हाल ही में अमरीका के मरीन फ़ौज में कुछ मर्दों ने अपने सहयोगियों के नग्न चित्रों को फेसबुक में प्रकाशित कर के बुद्धिजवियों की भी धज्जियाँ उड़ाई है ! क्या स्त्री मात्र एक वस्तु है मनोरंजन का? उसके अरमान, उसकी इच्छा, या फिर उसकी अपनी कोई राय या एहमियत नहीं है? एक वक्त था जब स्त्री को सिर्फ उत्पादन का साधन माना जाता था और फिर जब स्त्री अपने पैरों पर खड़ी हुई, अपना बोझ खुद ही सँभालने लगी तब उसे विभिन्न तानों से हतोत्साह किया, कुछ नहीं तो वेश्या या अन्य बातों से उसे