मेरी दरख्वास्त दोस्तों से ... !!!
दोस्तों देश छोड़ दिया लेकिन जहाँ जन्म लिया वहां देश के बारे में सोचना क्यों छोड़ दें? और तो और प्रधानमंत्री ने खुद कहा के पूरा जहाँ हमारा है तो फिर लोग ऐसा दावा क्यों कर रहे हैं के देश की भलाई चाहते हो तो देश में आकर रहो? जितने साल हम देश में थे लड़े और भ्रष्टाचार कर्मचारियों को बेनकाब किया और बिना घूसखोरी के अपने काम पूरे किये। इतने बड़े देश का एक तिनका होनेके बावजूद हमने अपना कर्म और धर्म निभाया - यहाँ धर्म इंसानियत है ! मुझे मेरे सभी साथियों से यही कहना है की आप लोग जो समर्थन कर रहे हैं मुझे - सामने आकर या फिर सन्देश भेजकर उन सभी को मैं तहे-दिल से शुक्रिया कहना चाहती हूँ। और मैं ये भी कहना चाहती हूँ के दोस्तों यदि किसी कारणवश आप डरते हैं की मुझ से सहमत होने से आपको अपनी छवि (इमेज) ख़राब होती है या बेनकाब हो जाते हो तो आप कृपया करके सहमति न दीजिये और साथ न दीजिये - मुझे इस बात का कतई बुरा नहीं लगेगा। स्वंत्र भारत में पैदा हुई हूँ मैं और महाराष्ट्र के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में पली बड़ी हूँ इस करके भी दिल की बात कहना और अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने का हक़ रखती हूँ। हमारे बाल गंगाधर ति