ईर्ष्या सिर्फ इंसान के अंदर की असुरक्षा है ...
ज़िंदगी में किसी से ईर्ष्या करने से क्या फायदा करना ही है तो अच्छे गुणो को अपनाओ जिस से खुद भी तारीफ के काबिल बनो वर्ना ईर्ष्या से दुश्मनी और कड़वाहट ही पैदा होती है और ये आग जब फैलती है तब इसे किसी भी तरह रोका नहीं जा सकता। सब कुछ नष्ट हो जाता है और जब तक पता चले बहुत देर हो जाती है।
इंसान अगर इंसान से ही नफरत और द्वेष की भावना रखे तब वो तो जानवर के भी काबिल नहीं रेहता - अफसोस !
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