जीवन जीने के लिये है और वो भी खुशी से ना के आँसूओं से!
ये सोचना की हमारी खुशी किसी के पास धरोहर रखी है तो ये बिल्कुल गलत है. अपनी खुशी अपने अंदर होती है. हमें ही ढूंडना पड़ता है हमारे अंदर की खुशी को .
केहते हैं ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है और मुर्दे खाक जिया करते हैं. लेकिन एक बात है के इंसान जाने-अनजाने में दूसरों को ये एहसास दिलाता है के उसकी खुशी दूसरों पेर निर्भर है और कयी बार इस बात का दूसरे फायदा भी ऊठाते हैं. ज़िंदगी में अपनी खुशी क्या है पेहले इसे समझिये और जब एक बार जान जाओगे के ज़िंदगी में आपकी पसंद और खुशी क्या है तो फिर आपको किसी इंसान के उपर निर्भर करने की ज़रूरत नहीं।
यदि आप का साथी आपका साथ नहीं देता तो दुख तो होगा ज़रूर लेकिन दुखी रेहने के लिये अपने दिल में खुशियों को अलविदा मत कहो.
जीवन जीने के लिये है और वो भी खुशी से ना के आँसूओं से!
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