ये किन एहसासों का दरिया है जहां दिल डूबने से नहीं घबराता?
ऐसा क्यूं होता है की किसी एक के लिये दिल क्यूं मचलता है, बेचेन रेहता है या फिर उसी की यादों में खोया रेहाना चाहता है?
और उसी इंसान के आने से दिल के अंदर एक तूफान सा उठता है लेकिन चेहरा सन्नाटे से भरा रेहता है या फिर घबराया सा नज़र आता है.
किसी एक के लिये सभी सीमायें लांघकर, वक़्त ना हो तब भी बे-वक़्त वक्त निकालकर मिल आना, हर एक अदा पर दिल की तरंगो का लेहर उठना - ये किन एहसासों का दरिया है जहां दिल डूबने से नहीं घबराता? ये कैसे एहसास हैं जो बुलंदियों पर उड़ान भरते हैं और नीचे गिरने का भय भी नहीं रखते ? हो ना हो ये एहसास किसीके प्यार के ही नज़र आते हैं वर्ना इतनी हिम्मत और हौसला किसके पास हो सकता है?
प्यार की ताकत और उसके एहसासों की कोई सीमा नहीं तो उसकी कोई कल्पना भी नहीं... ये एहसास सिर्फ मेहसूस किया जा सकता है ना की बांटा या सुनाया जा सकता है !
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