ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है .. ;)

ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है और जो इसे जी सका वो तो जीता ही जो ना जी सका वो ना यहाँ का रहा ना ही वहां का रहा जिसका हम मुर्दे होने के बाद ही पता चलता है. आज मेरी सहेली 'वेन हुई' से मुलाकात हुई जो के एक साल से कॅन्सर के रोग से पीड़ित उसके इलाज़ से सफल होकर निकली हैं . बात यहाँ रोग के बारे में नहीं है. में वेन की हिम्मत और हौसले की दाद देती हूँ की ज़िंदगी के कठिन से कठिन परिस्तिथि में भी उन्होने कभी भी हौसला नहीं छोड़ा और अगर कभी कहीं मायूसी या उदासी हुई तब हम सभी दोस्तों ने हौसला दिया और उनके हिम्मत की दाद दी. ८ केमो थेरपी के पूर्ण होने पर "वेन हुई" को इस कॅन्सर से मुक्ति मिलेगी ये डॉक्‍टोरों का केहना था। इसी बात पर एक उमीद नज़र आई थी के सिर्फ ८ केमो , लेकिन जैसे-जैसे एक -एक करके केमो होने लगे और हर केमो के बाद की तकलीफें भी उतनी ही बढ़ने लगी और वेन हुई की मुश्किलें और जीवन से संतुलन बनाये रखने का परिश्रम बढ़ने लगा. हर बढ़ते हुये कठिनाई पर वेन हुई और भी साहसी बनती गयी और आखिर में सफलता हासिल करके ही निकली। 
आज वेन हुई हर किसी को जीवन को देखने का दृष्टिकोण दे सकती है और उसके ऐसा अभिप्राय देने की वजह भी है. वेन हुई जो के जीवन और मृत्यु के संघर्ष में बराबर की खिलाडी रही है जहां उसने मौत को मात दिया. मैं ऐसा नहीं केहाती के मौत कभी भी सफल नहीं होगा। हम सब एक दिन मौत के हवाले होने वाले हैं मगर बिना चुनौती दिये बगेर मौत को आसानी से सफलता देना ये भी तो ठीक बात नहीं है। 
मुझे बेहद खुशी होती है ये केहते और बताते हुये के ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है और ये सिर्फ नाम नहीं है दोस्तों क्युंके ये हकीकत है मेरी दोस्त की। मेरे जीवन का लक्ष्य हमेशा से हौसला बढ़ाना है और मैं "वेन हुई" का उदाहरण देना चाहती हूँ की हौसले बुलंद हों और इच्छा-शक्ति हो तो इंसान अच्छे से अच्छे आंधियों के रुख को बदल सकते हैं और ये मुमकिन है.
दृड-निश्चय और दृड-संकल्प ये आपका अपना होता है, आपके अंदर होता है. इसे कब, कहाँ और कैसे जगाना है ये आपका अपना निर्णय है !

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