अहंकार अच्छे से अच्छे इंसान को खत्म कर देता है और अगर वो अहंकार को नहीं छोड़ता तब उसका साथ उसके साथी छोड़ देते हैं.
ज़िंदगी में जब आये थे तब क्या साथ लाये थे जो कुछ पाने पर या हासिल करने पर इंसान इतना अहंकारी हो जाता है के वो भूल जाता है के
जो भी उसने यहाँ पाया है वो यहीं रखकर जाने वाला है फिर चाहे वो उसकी काबिलियत ही क्यूं ना हो!
खाली हाथ आये हैं और खाली हाथ जायेंगे तो फिर जब तक यहाँ हैं क्यूं ना हंस-खेलकर बितायें सभी के संग.
अहंकार को छोड़ दें और स्वयं को हल्का करें क्यूंकि ऊँचाई पर वोही उठता है जो हल्का होता है
विनम्रता को अपनाइये फिर देखिये किस-किस उंचाई तक आप पहुँचते हैं लेकिन हाँ, खैर रखिये अहंकार का मैल ना चढ़ने दें !
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