प्यार में जलना या ईर्ष्या करना कितना ज़रूरी समझा जाता है?

प्यार में जलना या ईर्ष्या करना कितना ज़रूरी समझा जाता है? शायद कुछ प्रतिशत लोग इसे सही मानते हैं और कुछ प्रतिशत लोग इसे बुरा भी मानते हैं क्युंके अगर प्यार हो किसी से और उस पर भरोसा भी हो तब किसी बात से जलन या ईर्ष्या होने की आवशयकता नहीं है. लेकिन ऐसा भी मानना है के सच्ची मोहब्बत है तो जलन और ईर्ष्या तो होना स्वभाविक है। 
खेर ये एक हद तक अपनी - अपनी सोच है, क्युंके अगर जिस से आप मोहब्बत करते हैं उसे आप पर विश्वास है तब आप किसी भी इंसान से बात करलें और वो कितना भी गुणी हो तब भी ईर्ष्या नहीं करेगा - लेकिन हाँ स्वयं में हमेशा कोई कमी मेहसूस करोगे तो हर किसी से ईर्ष्या और द्वयेश होगा. प्यार करें और प्यार करने दो - इन सब बातों से बेर -द्वयेश -ईर्ष्या सब उड़नछू हो जायेंगे और लोग ज्यादा सुखी होंगे।
लेकिन फिर भी थोड़ा सी ईर्ष्या प्यार में ज़रूरी है क्युंके इस से ये पता चलता है के अगला तुम्हें खोने से डरता है ;)

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