अच्छे को ले और बाकी से सीख लें - मेरा भारत महान

लोकतंत्र मैं हल्ला मच गया सबने कहा शेर आया शेर आया :) जी मोदी जी अमेरिका पधारे लेकिन शायद ऐसा लगा मानो सिर्फ आज तक वोही पधारे भारत से - खैर वैसे भी हम भारतीय भावुक प्रवृति के हैं और शायद इसी भावुकता का फायदा युग-युग हमारे देश की अर्थव्यवस्था को हिलाता और डुलाता रहा !
भावुक होना ठीक है क्युंके हम इंसान जो हैं अब भी, लेकिन भावुकता मैं बेहजाना कहाँ तक सही है ये हमारी अब की पीढी और आनेवाली जनकल्याण को निश्चित करना है क्युंके भावुकता से कभी कोई मसला सुलझाया नहीं जा सकता और यही सभी को जानना और समझना है। 
आज बहुत दिनो बाद राष्ट्रगीत सुनकर यकायक आंख से आंसू निकल पड़े, जाने क्यूं में अपने आपको अपनी भावनाओ को रोक ना सकी बस दिल की गेहराईयों से बचपन याद आगया जहां हम पले -बड़े हुये वहां की सीख दी देश के लिये मर-मिटने का जज़्बा जो कुट कुट कर दिल में भरी थी वो पल भी याद आया जब टोरोंटो में एक जर्नलिस्ट से मेने पंगा लिया था क्युंके उसने न्यूक्लियर टेस्ट के तेहत एक आर्टिकल लिखा जिसमें मेरे भारत को उसने बैलगाड़ी और लालटेन वाला देश कहा था ... एक वो दिन था और एक आज वाक़ई हम माउस से खेलने वाले देशवासी हैं - क्या गलत कहा मोदी जी ने ? वाक़ई इतिहास देखा जाये तो हम कहाँ से कहाँ पहुंच गये, और सिर्फ यहाँ तक नहीं और बहुत आगे तक जाना है, मंजिल सिर्फ मोदी और BJP तक ना रेहा जाये - क्यूंकि उंगली उठाना हर किसीको आता है वोही उंगली काम करने के लिये, भारत की गरिमा बढ़ाने के लिये उसकी तरक्की के लिये किया जाये तो हम सब एक माला की मोती लगेंगे. भारत को स्वछ करना उसकी नदियों से नहीं बलके उसकी अर्थव्यवसता से होनी चाहिये, ढोंगी ठगी बाबाओं और माताओं से करनी चाहिये जो भावुक लोगों को धर्म की आड़ में लूटते हैं और अपना उल्लू सीधा करते हैं . देश को जागना होगा धर्म अपनी जगह है और कर्म अपनी जगह। जब शेर हिरन को मारकर खाता है तब हम केहते हैं ये - खाद्य शृंखला (फुड चैन) है लेकिन जब इंसान ही इंसान को पैसों के लिये लूटे तब उसे क्या कहेंगे? 
भरष्टाचार, घूसखोरी और अन्याय को होने से रोकना होगा और ये सिर्फ एक मोदी नहीं कर सकते बल्कि हम सभी को साथ मिलकर एक सूत्र में बंधकर करना होगा !
देश के प्रधानमंत्री का अमेरिका में आगमन और उनका भाषण देशवासियों के लिये प्रियकर रहेगा हमेशा क्यूंकि कौन देशवासी अपने देश से और देशवासियों से मोहब्बत नहीं करता? हर कोई करता है और लड़ते भी हैं तो वो भी एक प्यार का आभास ही है - तर्क-वितर्क से विचार-विमर्श से नेक सिलसिले पैदा होते हैं और नये काम करने की योजना बनती है - अच्छे को ले और बाकी से सीख लें - मेरा भारत महान 

Comments

Popular posts from this blog

सवाल करने वाले को न रोकें और न ही उन्हें नफरत से देखें!

गीदड़ की जब मौत आती है तब वह शहर की तरफ भागता है

ज़िंदगी में अपनी पेहचान बनाना सीखो ना की किसी की पेहचान से लटक कर उनकी दूम बन जाओ ;)