सब्र का फल मीठा होता है तो कभी खट्टा भी ...!


ज़िंदगी में कभी किसी से मिलो तो प्यार से मिलो. हाँ, ये बात और है के हर कोई अपनी तरह या अपनी सोचका हो ये ज़रूरी नहीं.
हर इंसान एक जैसा होता या होती नहीं, इसका मतलब ये भी नहीं के हम उनसे दुश्मनी मोल लें . हाँ, ये सही है के आप उनसे कितनी दोस्ती रखें इसका एक अंदाज़ा रख सकते हैं और जैसे-जैसे आप उनसे मिलने -जुलने लगते हो आप उन्हें करीब से समझने लगते हो. इसी समझने को दोस्ती केहते हैं ;)
कयी बार सब्र का फल मीठा होता है तो कभी खट्टा भी, इसीलिये संभल कर और सोच-समझकर किसी भी बात को बढ़ावा देना चाहिये. 
इससे किसी का भी दिल नहीं टूटता और ना ही कोई गिले-शिकवे की गुंजाइश होगी .

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