झूठ क्यूं चिल्लाता है और सत्य क्यूं रोता है?
सत्य मेव जयते ये नारा हम लोग बचपन से सुनते और पढ़ते आरे रहे हैं लेकिन वाक़ई में सत्य की विजय का पता नहीं लेकिन सत्य की मर्यादा को भी लोग नहीं मानते और ना ही इज्जत देते हैं वर्ना झूठ क्यूं चिल्लाता है और सत्य क्यूं रोता है?
सोचने वाली बात है आज भी बातों से सक्छाई को नीचा दीखाया जाता है और सच ये हकीकत अपनी आँखों से देखकर शायद खुद पर यकीन नहीं करता इसीलिये तो सत्य रोता है और झूठ चिल्लाता है।
झूठ के पैर नहीं होते ऐसा हमने सुना था मगर झूठ के कंठ में बहुत आवाज़ होती है और शायद अपने आपको सही बताने के लिए चिल्लाने की नौबत आती है वर्ना सत्य की तरह शांत क्यूं नहीं रेहता !
फिर भी सवाल यही है के झूठ क्यूं चिल्लाता है और सत्य क्यूं रोता है?
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