ज़िंदगी मिली है तो उसे प्यार करना सीखो फिर चाहे वो अपनी ज़िंदगी हो या किसी और की ...!

ज़िंदगी में इंसान अगर इंसान की कद्र करना जान ले तो फिर उसकी आधी तकलीफ तो वहीं खत्म हो जाती है क्यूंकि उसके पास इंसान होने का दिल है और साथ में कयी इंसान भी हैं. जिस तरह हम सभी ने सुनी है एकता और एकजुट होने की कहानी जहां बूढ़े पिता ने अपने पांचों या सातों बेटों को बुलाकर एक-एक लकड़ी दी थी ये केहाकर के इसे तोडो और फिर किस तरह सारी लकड़ियाँ एक साथ कर तोड़ने का आदेश देने पर बेटे लकड़ियों को तोड़ नहीं पाये - उसी तरह गर इंसान के पास इंसान का साथ हो तो उसे किसी भी मुश्किलातों का सामना करने में परेशानी नहीं होती.
मामला तब पेचीदा होता है जब इंसान, इंसान से ज्यादा आडंबरी चीज़ों से दिल लगा बैठता है और उसकी ख्वाइश में अच्छे से अच्छे इंसान से भी दुश्मनी मोल लेता है आखिर इसका अंजाम? 
पैसे, आडंबरी वस्तुयें सभी मोल पर मिल जाते हैं किन्तु एक सच्चा और अच्छा इंसान मिलना बहुत मुश्किल होता है.
ज़िंदगी में इंसानों से प्यार करें ना के पैसों और भौतिकवादी दुनिया से. 

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