एक-दूसरे को इंसान समझिये और हैवानो को इंसान बनाइये ना के उन्हें मिटाकर खुद हैवान बन जायें!

शिक्षा केहते हैं इंसान का ज्ञान बढ़ाते हैं और तो और अज्ञानता को दूर करता है . बहुत हद्द तक मेरा भी मानना यही था तब तक जब तक के मैने पढ़े-लिखे लोंगों को सभ्यता से पेश आते देखा है. जैसे जैसे जीवन को करीब से देखने का अवसर मिला है तो यही देखा है की पढ़े-लिखे और अनपढ़ लोगों में ज्यादा फरक नहीं है बल्कि कई बार अनपढ़ को फिर भी इंसानियत का ज्ञान होता है, लेकिन मैने पढ़े-लिखे लोगों को अज्ञानता से भरे और हैवानियत से भरी बातें और कर्म करते हैं सुना है और ये खुले आम होते देखने के बाद इंसानियत से विश्वास जैसे टूट सा गया है.
जानवर से यदि हम सीखें तो बहुत कुछ हम अब भी अपने दायरे में रेहा सकते हैं. आज इंसान इसी होड़ में लगा है के वो किस हद्द तक अपने स्तर से गिर सकता है ताके इंसानों से क्या अपने आने वाली कई पीड़ियों से वो नज़र नहीं मिला सकता.
बचे कुचे इंसानो को ये देखकर चुप नहीं रेहाना है बल्कि इसके विरूध आवाज़ उठानी है और आम जनता में इसकी जागरूकता लानी है 
एक-दूसरे को इंसान समझिये और हैवानो को इंसान बनाइये ना के उन्हें मिटाकर खुद हैवान बन जायें! 

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