सच्चा होना गुनाह है ...

सच्चा होना गुनाह है ये जानकर मेरे अंदर का एक बहुत बड़ा हिस्सा मर सा गया आज. कहाँ सुना था सत्य मेव जयते लेकिन दुनिया सिर्फ वोही सुनना चाहती है जो वो सुनना चाहते हैं.
बात मेरे पिताजी की याद आई के ज़िंदगी में दो तरह के लोग मिलेंगे एक जो तुम्हारी सच्ची बातें सुनकर भी तुम्हारा साथ देंगे और दूसरे तुम्हारी सच्ची बातें सुनकर तुम्हें अपना दुश्मन समझेंगे. जो दोस्त बन जायें वो हमेशा के लिये होंगे लेकिन जो दुश्मन होंगे उनसे सतर्क रेहना क्युंके वो सच का साथ देने वालों के दुश्मन हैं .
मुझे लगता था इंसान सच और झूठ का साथ देता है और उसे इंसान के साथ और झूठे होने से वर्क नहीं पड़ता क्युंके बापू भी कहा करते थे के पाप से घृणा करो पापी से नहीं। खैर, दिल को धक्का लगा के अपने बारे में ये जानकर के मैं  ज़रूरत से ज्यादा सच बोलती हूँ और ये ठीक नहीं है 
वाक़ई गलत तो मैं ही हूँ ना, जो सच बोलती हूँ और आंख में आंख डालकर सच बोलती हूँ बिना किसी झिझक के या भय के. 
जब एक इंसान ज़रूरत से ज्यादा सच बोलता है तो दुनिया उसका मुंह बंद कर देती है -  हर उठते हुये का गिरना भी पड़ता है, लेकिन गिराता कौन है उसकी भी औकात का  पता चल  ही जाता है !
सत्य बापू के साथ ही चला  गया  क्युंके अब सत्य नहीं झूठ ही जयते  

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